हरी दूब बवासीर से लेकर मुंह के छालों तक की करती है छुट्टी, जानें और भी फायदे

नई दिल्ली (हमारा वतन) भगवान गणेश जी को चढ़ाई जाने वाली दूर्वा घास का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। मामूली सी नजर आने वाली इस हरी दूब पर सुबह नंगे पैर चलने से व्यक्ति की आंखों की रोशनी बढ़ने के साथ बवासीर जैसे कई रोग भी दूर हो सकते हैं।

दूब में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फाइबर, पोटाशियम जैसे कई पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं, जो यौन रोग, लीवर रोग, कब्ज के उपचार में रामबाण इलाज माने जाते हैं। यही वजह है कि आयुर्वेद में हरी दूब को महाऔषधि माना जाता है। आइए जानते हैं हरी दूब सेहत और खूबसूरती के लिए कैसे फायदेमंद है।

हरी दूब के फायदे –

डायबिटीज पेशेंट के लिए फायदेमंद – कई रिसर्च यह दावा करती हैं कि दूर्वा में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव पाया जाता है जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। रक्त शर्करा को बढ़ने से रोकने के लिए और नियंत्रित करने के लिए आप खाली पेट दूर्वा के जूस का सेवन कर सकते है। एनसीबीआई में पब्लिश एक रिसर्च के अनुसार, दूब घास के पानी वाले अर्क में हाइपोग्लाइसेमिक और एंटीडायबिटिक प्रभाव मौजूद होने से यह ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम करके मधुमेह की समस्या में सुधार कर सकता है।

एनीमिया की समस्या करें दूर – एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए दूब का रस अमृत माना जाता है। दूब के रस को हरा रक्त भी कहा जाता है। इसका जूस पीने से एनीमिया की समस्या दूर होती है। दूब खून को साफ करने के साथ शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को भी बढ़ाने का काम करती है। इसका नियमित सेवन शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ने में मदद करता है।

माइग्रेन के दर्द में राहत – सुबह नंगे पांव हरी दूब पर चलने से तनाव की वजह से होने वाले माइग्रेन के दर्द को दूर करने में सहायता मिलती है। दूब को पीसकर उसका लेप अपने पैरों और माथे पर लगाने से मस्तिष्क को ठंडक मिलने के साथ दिमाग भी शांत होता है।

त्वचा से जुड़ी समस्याएं – दूर्वा घास में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं जो स्किन से जुड़ी कई तरह की समस्याओं जैसे- खुजली, जलन, चकत्ते और एक्जिमा में राहत देते हैं। दूब घास को हल्दी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने से इन सभी समस्‍याओं से राहत मिलती है

मुंह के छाले – दूब की पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर हर रोज कुल्ला करने से मुंह के छालों की समस्या दूर होती है।

बवासीर में राहत – दूर्वा को पीसकर दही में मिलाकर बवासीर पर लेप करने से लाभ मिलता है।

रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी

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