मणिपुर में फिर भड़की जातीय हिंसा, दंगाइयों ने 15 घरों को फूंका, 5 को मार डाला

इम्फाल (हमारा वतन) मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई हिंसा अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा हिंसा में दंगाइयों ने दो अलग-अलग घटनाओं में पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इससे राज्य में मरने वालों की संख्या लगभग 160 हो गई है। उधर, पश्चिमी इंफाल के लांगोल इलाके में 15 घरों को आग लगी दी गई। मरने वालों में बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा से तीन मैतेई और चुराचांदपुर जिले के दो कुकी समुदाय के लोग शामिल हैं।

वहीं, अब सेना और पुलिस सहित सुरक्षा बलों ने दोषियों को पकड़ने और लूटे गए हथियारों को बरामद करने के लिए जवाबी अभियान शुरू किया है। 4000 से अधिक लूटे गए हथियारों में से 1057 हथियार और 14201 गोला-बारूद घाटी के जिलों से और 138 हथियार और 121 गोला-बारूद पहाड़ी जिलों से बरामद किए जा चुके हैं।

भारतीय सेना ने शनिवार देर रात एक बयान में कहा, “क्वाक्टा, बिष्णुपुर में घटना के बाद कई ऑपरेशन शुरू किए गए।” कुकी इंडिपेंडेंट आर्मी (केआईए) के एक विद्रोही, एक कुकी उग्रवादी संगठन के कई उग्रवादियों को पकड़ लिया गया है। उनसे एक राइफल, गोला-बारूद बरामद किए गए।

शनिवार शाम इंफाल पश्चिम जिले के लांगोल में लगभग 15 घरों में आग लगा दी गई और एक व्यक्ति के पैर में गोली लग गई। उन्हें इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती कराया गया जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। चराचांदपुर और विष्णुपुर इलाकों में ताजा हिंसा की घटना में पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। इसमें तीन मैतेई और दो कुकी समुदाय के थे। इसके बाद हिंसा प्रभावित राज्य में अर्धसैनिक बलों की 10 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गईं। इनमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 5 कंपनियां, सीमा सुरक्षा बल की 3 और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सशस्त्र सीमा बल की 1-1 कंपनी शामिल हैं।

इस बीच, मणिपुर पुलिस ने शनिवार आधी रात के आसपास एक प्रेस नोट जारी कर केवल मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में स्थित जिलों में कई पुलिस स्टेशनों और शस्त्रागारों से हथियार और गोला-बारूद लूटने की खबरों का खंडन किया। विज्ञप्ति में कहा गया है, “यह जानकारी भ्रामक है कि पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों के विभिन्न पुलिस स्टेशनों और शस्त्रागारों से हथियार और गोला-बारूद लूटे गए थे। लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद को बरामद करने के लिए सुरक्षा बल पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों में लगातार छापेमारी कर रहे हैं।”

पुलिस ने बताया कि जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से लूटे गए 4000 से अधिक हथियारों में से 1057 हथियार और 14201 गोला-बारूद घाटी के जिलों से और 138 हथियार और 121 गोला-बारूद पहाड़ी जिलों से बरामद किए गए हैं। गुरुवार को, लगभग 500 लोगों की एक बड़ी भीड़ ने बिष्णुपुर जिले में इंडियन रिजर्व बटालियन की दूसरी बटालियन से 300 से अधिक राइफलें और 19,000 से अधिक गोला-बारूद लूट लिया था। पुलिस ने शनिवार को बताया कि लूटे गए हथियारों में से 15 हथियार बरामद कर लिए गए हैं।

मणिपुर में हिंसा के मामले बढ़ने और कई स्थानों पर जमीनी हालात तनावपूर्ण बने रहने के कारण केंद्र ने शनिवार को अर्धसैनिक बलों की 10 अतिरिक्त कंपनियां भेजीं। क्वाक्टा और चुराचांदपुर में शनिवार को दो अलग-अलग घटनाओं में पांच लोगों की मौत हो गयी है। हिंसा के बाद इंफाल पूर्व और पश्चिम में फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया है।

मणिपुर के हालात से वाकिफ अधिकारियों ने बताया कि शनिवार देर रात तक राज्य के विभिन्न हिस्सों जैसे न्यू चेकन, टोरबंग और राज्य के अन्य हिस्सों में भीड़ द्वारा आगजनी की घटनाएं हुईं हैं। पिछली रात, मणिपुर पुलिस ने कहा कि पश्चिमी इंफाल के लिलोंग और चाजिंग में भीड़ द्वारा पुलिस टीम से हथियार लूटने का एक और प्रयास किया गया था। हालांकि, पुलिस सतर्क थी और दंगाईयों से हथियार बरामद किए जा चुके हैं।”

गुरुवार को, भीड़ ने इंडिया रिजर्व बटालियन की दूसरी बटालियन के शस्त्रागार को लूट लिया था और अत्याधुनिक हथियार और लगभग 19000 राउंड गोला-बारूद लेकर भाग गए थे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आदिवासी और गैर-आदिवासी दोनों समूहों के बदमाशों के पास बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद है, जो 3 मई से पुलिस शस्त्रागारों से चुराए गए हैं, जिसके कारण गोलीबारी की घटनाएं जारी हैं।

गौरतलब है कि 3 मई के बाद से, पूर्वोत्तर राज्य जातीय झड़पों की चपेट में है। मुख्य रूप से आदिवासी कुकी और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के बीच हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। इस जातिय हिंसा में कम से कम 160 लोग मारे गए हैं 50,000 विस्थापित हुए हैं। सबसे पहले 3 मई को चुराचांदपुर शहर में झड़पें हुईं, जब कुकी समूहों ने राज्य के आरक्षण मैट्रिक्स में प्रस्तावित बदलाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया, जिसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया गया था। हिंसा ने तुरंत राज्य को अपनी चपेट में ले लिया।

रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी

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