कोरोना से दिवंगत पत्रकारों के आश्रितों को दी जाए सरकारी नौकरी

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

जयपुर (हमारा वतन) जार राजस्थान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा कि कोरोना से जान गंवाने वाले पत्रकारों केबच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार उठाए।
कोरोना से जान गंवाने वाले पत्रकारों के आश्रित परिजनों पर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। संकट की इस घड़ी में कोरोना से दिवगंत पत्रकारों के आश्रित परिजनों को सरकारी कार्मिकों की तरह सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की गई है। इस संबंध में जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है।
पत्र में जार के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा व प्रदेश महासचिव संजय सैनी ने बताया कि राज्य सरकार ने पत्रकार हित में मीडियाकर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर मानते हुए वैक्सीनेशन में प्राथमिकता समेत अन्य सुविधाएं दी है। साथ ही कोरोना से मौत होने पर अधिस्वीकृत पत्रकारों को पचास लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है। जो कि सरकार का सराहनीय कदम है। कोरोना की दूसरी लहर में युवा पत्रकार कोरोना की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं और बहुत से पत्रकारों की मौत भी हो चुकी है। दो दिन में ही जयपुर के युवा पत्रकार तनवीर अहमद, आशीष शर्मा की कोरोना से मौत हुई। इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार श्याम शर्मा, संजय बोहरा, जनार्दन कुलश्रेष्ठ, जितेन्द्र शर्मा, नरेन्द्र सिंह राठौड़, प्रवीण शर्मा आदि पचास से अधिक पत्रकार कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं। अधिकांश दिवगंत पत्रकार की आयु तीस से पचास साल की है।
पत्र में बताया कि अधिकतर दिवगंत पत्रकारों के बच्चे अभी स्कूल व कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं। बच्चों समेत परिवार की जिम्मेदारी दिवगंत पत्रकारों की पत्नियों, भाई बहन या बुजुर्ग माता पिता पर आ गई है। ऐसे में इन परिवारों पर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। पत्र में मुख्यमंत्री से दिवगंत पत्रकारों के आश्रित परिजनों में से एक को सरकारी नौकरी दिए जाने, बच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकारी स्तर पर किए जाने की मांग की है।
पचास लाख रुपये की सहायता अधिस्वीकृत पत्रकारों के साथ गैर अधिस्वीकृत पत्रकारों को देने, पीआईबी की तर्ज पर कोरोना व अन्य किसी बीमारी से मौत होने पर पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने, कोरोना से पीडित पत्रकारों व परिजनों के ईलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने के आवेदन पर डीआईपीआर द्वारा एक लाख रुपये की सहायता दिलवाने, चिरंजीवी योजना में प्रदेश के सभी शहरी व ग्रामीण पत्रकारों को शामिल करने और बीमा राशि सरकार द्वारा वहन करने, पत्रकारों का मेडिकल इंश्योरेंस की सीमा दस लाख रुपये तक किए जाने की मांग की है।

– रिपोर्ट : राम गोपाल सैनी 

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