आज चांद पर होगा भारत का सूर्योदय, चंद्रयान-3 आज शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर होगा लैंड

नई दिल्ली (हमारा वतन) मिशन चंद्रयान-3 बुधवार को चांद पर कदम रखने को तैयार है। इसरो का अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है और विक्रम लैंडर 23 अगस्त की शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

इसरो के वैज्ञानिकों का दावा है कि विषम परिस्थितियों में भी लैंडिंग सफल रहेगी। अब तक मिशन पूरी तरह से अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और सभी की निगाहें सॉफ्ट लैंडिंग पर हैं। अगर यह सफल होता है तो भारत यह कारनामा करने वाला चौथा देश हो जाएगा। अभी तक अमेरिका, सोवियत संघ और रूस ने चांद पर सफल लैंडिंग की है। वहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का इकलौता देश बन जाएगा।

चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल कर लैंड करेगा। इसे 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। लैंडिंग होते ही यह 41 दिन में 3.84 लाख किमी का सफर तय कर नया इतिहास लिखेगा।

लैंडर के चांद पर उतरते ही रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर इससे चांद की सतह पर आएगा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खीचेंगे और पृथ्वी पर सेंड करेंगे। अगर भारत इस मिशन में सफल रहा तो चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश होगा।

इसरो के बेंगलुरु स्थित टेलीमेट्री एंड कमांड सेंटर (इस्ट्रैक) के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लैक्स (मॉक्स) में 50 से ज्यादा विज्ञानी कंप्यूटर पर चंद्रयान-3 से मिल रहे आंकड़ों की रात भर पड़ताल में जुटे रहे। वे लैंडर को इनपुट भेज रहे हैं, ताकि लैंडिंग के समय गलत फैसला लेने की हर गुंजाइश खत्म हो जाए।

सभी सांकेतिक भाषा में बात कर रहे हैं। कमांड सेंटर में उत्साह-बैचेनी का मिला-जुला माहौल है। इसरो वैज्ञानिक बेंगलुरु स्थित ​​​​इसरो टेलिमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक) और ब्यालालू गांव स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क पर मिल रहे डेटा के अलावा यूरोपियन स्पेस एजेंसी के जर्मनी स्थित स्टेशन, ऑस्ट्रेलिया और नासा के डीप स्पेस नेटवर्क से रियल टाइम डाटा लेकर वेरिफिकेशन कर रहे हैं।

चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय करेंगे कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं। अगर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी।

चंद्रयान का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था। इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है।

रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी

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