पितृ पक्ष कल से, नोट कर लें श्राद्ध विधि और पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट

नई दिल्ली (हमारा वतन) पूर्वजों के प्रति समर्पित 16 दिन का श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर शुक्रवार से शुरू हो रहा है। प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर दोपहर 3:26 बजे से शुरू होकर अगले दिन दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी। ऐसे में स्नान, दान की पूर्णिमा व प्रतिपदा का श्राद्ध 29 सितंबर को करना उचित होगा।

9 अक्तूबर को एकादशी तिथि पूर्ण कालिक अपराह्न व्याप्त है। जबकि 10 अक्तूबर को एकादशी अपराह्न काल में पूर्ण रूप से व्याप्त नहीं है। ऐसी स्थिति में शास्त्रोक्त विधानुसार एकादशी पार्वण श्राद्ध 9 अक्तूबर को करना ही उचित रहेगा। 10 अक्तूबर को षडदेवता श्राद्ध किया जा सकता है। इस दिन मघा नक्षत्र भी है, इस नक्षत्र में श्राद्ध व पिंडदान करना लाभदायक होता है।

पितृ पक्ष का महत्व – पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है। इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आर्शीवाद देते हैं। पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है |

श्राद्ध विधि ——–

  • किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिए।

  • श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है।

  • इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।

  • यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है।

  • जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें।

  • श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए | योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए | मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।

श्राद्ध पूजा की सामग्री –रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना।

रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी

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