शरद पूर्णिमा पर सोलह कलाओं से युक्त होगा चंद्रमा, नोट कर लें पूजा- विधि और शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली (हमारा वतन) आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा आदि नामों से जाना जाता है। साल में 12 पूर्णिमा में यह पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। इस पूर्णिमा में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है। इसके अलावा इसी पूर्णिमा पर भगवान कृष्ण ने ब्रज मंडल में गोपियों के साथ रासलीला की थी। इसलिए इसे रास पूर्णिमा कहते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी। इस दिन मां लक्ष्मी के पूजन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और सुख समृद्धि आती है। इस पूर्णिमा का एक नाम को जाकर व्रत भी है। को शब्द संस्कृत भाषा के जागृति से बना हुआ है।

पूजा -विधि –

इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें। नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है। इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा – अर्चना भी करें। भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें। पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें। चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है। इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें। अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।

शरद पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त – शरद पूर्णिमा रविवार, अक्टूबर 9, 2022 को

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *