मित्र हो तो सुदामा और कृष्ण जैसे – कृष्णकांत शास्त्री

चौमूं / जयपुर (हमारा वतन) आज श्रीमद् भागवत कथा करते हुए यज्ञ चार्य कृष्णकांत शास्त्री ने कहा कि भगवान ने जो विवाह लीला की वह भी उन स्त्रियों के पक्ष में थी क्योंकि स्त्रियों का सम्मान करते हुए उन्होंने अनेक प्रकार के लिए लाए कि जिस में समरा सुर का वध किया और भोमा सुर का वध करके 16100 कन्याओं को वहां से मुक्त करा कर के और उनका सम्मान किया गया और सम्मान के रूप में कन्याओं की इच्छा के अनुकूल ता के साथ हैं उन को पत्नी रूप में ग्रहण किया और समाज को यह समाज दिया यह संदेश दिया कि स्त्रियों के लिए कोई भी निर्णय लेना चाहिए जिससे उनका सम्मान बना रहे |

उन्होंने सुदामा चरित्र मित्रता का संबंध बताते हुए कहा कि मित्र हो तो सुदामा और कृष्ण जैसे जो सुदामा ने कभी कृष्ण के लिए अपेक्षा नहीं करी और केवल उनके भक्ति भाव में डूबे रहे और भगवान कृष्ण ने अपने कमजोर मित्र को अपने गले लगा करके उनको ऊंचा उठाया तो इस समाज को बढ़ाने वाली बातें हैं और समाज को बड़ा करके हम राष्ट्र का कल्याण कर सकते हैं मजबूत राष्ट्र बना सकते हैं |

इसके साथ-साथ अनेक प्रकार की लीलाओं का उदाहरण देते हुए भी उन्होंने कहा कि परिवार में सुख समृद्धि कैसे बने इसलिए कथाओं को सुनना चाहिए और कथाओं को ध्यान करके उनके अनुसार बर्ताव करना चाहिए |

इस अवसर पर रामअवतार शर्मा, सनत कुमार दास, बालक दास और पुरुषोत्तम दास महाराज के द्वारा आरती की गई व  आज की आरती गोविंद सहाय शर्मा के द्वारा की गई |

रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी

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