राजस्थान में पंजाब मॉडल पर चुनाव लड़ेगी आम आदमी पार्टी

नई दिल्ली / जयपुर (हमारा वतन) पंजाब में भारी बहुमत के साथ जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने अब उसी मॉडल पर राजस्थान में तैयारी शुरू कर रही है। दिल्ली के द्वारका से विधायक विनय मिश्रा को राजस्थान का चुनाव प्रभारी बनाकर पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रदेश भर में चुनावों के लिहाज से संगठन तैयार करने का ब्लू प्रिंट बनाया है। कल से पार्टी चुनावी तैयारियों की शुरुआत करने जा रही है। आप का फोकस अभी उन क्षेत्रों पर है, जहां लोग कांग्रेस-बीजेपी दोनों से नाराज हैं। वहां अभी से खास रणनीति के साथ फोकस किया जाएगा।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक पंजाब की सफलता के बाद पार्टी ने राजस्थान को लेकर रणनीति में बदलाव किया है। इसके तहत जिन सीटों पर चुनाव लड़ना है, उन पर पहले से ही उम्मीदवारों की शॉर्ट लिस्टिंग की जाएगी। आप के पास राजस्थान में अब तक स्थानीय दमदार सियासी चेहरा नहीं है। अब पार्टी मल्टी फेस मॉडल पर काम करते हुए जनाधार वाले नेताओं को जोड़ने की तैयारी में है। कांग्रेस और बीजेपी के साफ छवि वाले और जनाधार वाले नाराज नेताओं को आप से जोड़ने की रणनीति पर काम चल रहा है। चुनावी साल से पहले कई नेताओं को आप से जोड़ा जाएगा।

कल से चुनावी तैयारियों की शुरुआत
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह और नए चुनाव प्रभारी विनय मिश्रा कल जयपुर में पार्टी का सम्मेलन कर रहे हैं। दोनों नेता स्थानीय आप के नेताओं से मिलकर आगे का टास्क देंगे। ग्रासरूट पर पार्टी वर्कर्स को जनता की समस्याओं को प्रभावी तरीके से उठाकर ध्यान खींचने पर जोर दिया जाएगा। कल आप के जयपुर सम्मेलन से राजस्थान में चुनावी तैयारियों का आगाज माना जा रहा है। कल दूसरी पार्टियों के कुछ नेता-कार्यकर्ता आप जॉइन करेंगे।

कई जगह कांग्रेस-भाजपा के समीकरण बिगाड़ेगी आप
माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के राजस्थान में सक्रिय होने का नुकसान भाजपा और कांग्रेस दोनों को होगा। राजस्थान में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ लहर का ट्रेंड रहा है, इसलिए आप भी इसका फायदा उठाने की रणनीति बना रही है। जिन सीटों पर हार जीत का मार्जिन कम रहता है। वहां भी आप समीकरण बिगाड़ सकती है। इस बार आप पूरी तैयारी से मैदान में उतरने का मन बना रही है।

आप के फैसले से दोनों दल चौकन्ने
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस-बीजेपी से अलग विकल्प खोजने वालों की एक बड़ी तादाद है, लेकिन उन्हें अब तक उस स्तर की पार्टी नहीं मिली। जो उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरे। इस वजह से ऐसे वोटर्स या तो नोटा में वोट करते हैं या वोट डालने ही नहीं जाते। दोनों पार्टियों से नाराज इस वोटर्स पर आप की नजर है। फिलहाल विधानसभा चुनाव में करीब डेढ़ साल का वक्त है, तब तक कई सियासी समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे। आम आदमी पार्टी ने राजस्थान में मजबूती से चुनाव लड़ने का फैसला कर कांग्रेस-बीजेपी के नेताओं को चौकन्ना जरूर कर दिया है।

बड़े चेहरे का संकट दूर करने मल्टी फेस मॉडल
राजस्थान में आम आदमी पार्टी को अब तक चुनावों में सफलता नहीं मिली है। 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को एक फीसदी वोट भी नहीं मिले थे। अब पार्टी ने रणनीति बदली है। पंजाब जीत के बाद पर्सेप्शन भी बदला है। इसके बाद राजस्थान में कई नेता भी आप में जुड़ना चाह रहे हैं। आम आदमी पार्टी राजस्थान में 2013 से ही सक्रिय है, लेकिन पार्टी अब तक ​सियासी रूप से जनता से नहीं जुड़ पाई। स्थानीय बड़ा सियासी चेहरा नहीं होना भी एक कारण है। पार्टी अब चेहरे का संकट दूर करने के लिए मल्टी फेस मॉडल अपनाकर जनाधार वाले नेताओं को जोड़ने की कोशिश में है। 2023 के चुनावी साल में कुछ बड़े चेहरे भी पार्टी से जुड़ सकते हैं।

रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी 

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