जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
हमारा वतन @ राम गोपाल सैनी
अमेरिका (हमारा वतन) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल को हथियार खरीद की मंजूरी दे दी है। ये मंजूरी ऐसे समय में दी गई है जब इजरायल और गाजा में हमास के बीच लड़ाई छिड़ी है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इसमें अब तक दोनों ही तरफ से करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं जबकि 1200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इसकी वजह से हजारों लोगों को दूसरे सुरक्षित इलाकों में शरण लेनी पड़ी है। इस बीच रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में दोनों तरफ से हो रहे हमलों को तुरंत रोकने की अपील की गई है। वहीं अमेरिका पर भी दोनों के बीच सीजफायर कराने को लेकर दबाव बढ़ता दिखाई दे रहा है। इसके बाद अमेरिका ने भी कदम आगे बढ़ाते हुए अब सीजफायर को लेकर कवायद शुरू कर दी है। लेकिन ऐसे समय में इजरायल को दी गई हथियार खरीद की मंजूरी से एक सवाल ये उठ रहा है कि क्या सीजफायर की बात करना अमेरिका का केवल एक दिखावा है या कुछ और है।
इस बारे में ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना है कि जिस हथियार खरीद के सौदे को अमेरिका ने मंजूरी दी है वो दरअसल, इस लड़ाई से पहले की बात है। इजरायल और हमास के बीच लड़ाई शुरू होने से पहले ही इस सौदे को मंजूरी के लिए सीनेट में पेश किया गया था। इस पर अब राष्ट्रपति बाइडन ने अपनी अंतिम मुहर लगा दी है। उनके मुताबिक मौजूदा तनाव का इससे कोई लेना-देना नहीं है। ये पूछे जाने पर कि क्या ये अमेरिका का ये दोगला रूप तो नहीं है, उनका कहना था कि अमेरिका की स्थिति इस वक्त बेहद साफ है। अमेरिका के ऊपर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं है।
अमेरिका इस संबंध में अपने रुख को मजबूती के साथ स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय जगत के सामने रख सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गाजा में जिस हमास का शासन है वो एक एक प्रतिबंधित आतंकी गुट है जिसका फिलीस्तीन सरकार से भी छत्तीस का आंकड़ा है। ऐसे में उसके लिए अंतरराष्ट्रीय जगत को ये बताना काफी आसान है कि वो एक आतंकी गुट के खिलाफ इजरायल को अपना समर्थन दे रहा है, क्योंकि इस आतंकी गुट ने एक देश पर हमला किया है। जहां तक सीजफायर की बात है प्रोफेसर पंत मानते हैं कि इसमें एक सप्ताह का समय लग सकता है। उनके मुताबिक सीजफायर से पहले अमेरिका और इजरायल दोनों ही इस बात से आश्वस्त होना चाहते हैं कि हमास भविष्य में फिर दोबारा इस तरह के हमले की गलती न दोहरा सके।
वो ये भी मानते हैं कि हमास ने जिस स्तर के हमले इजरायल में किए हैं उससे ये बात बेहद साफ हो गई है कि इसमें ईरान का हाथ है और वहां से उसको हथियारों की खेप हासिल होती है। इजरायल समय रहते हमास के बड़े नेताओं को मार कर दो तरह से अपनी मजबूती को साबित करने की कोशिश में लगा है। इसमें पहली है कि इजरायल में राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू का इस कार्रवाई के बाद समर्थन बढ़ गया है जो उनको आने वाले दिनों में राजनीतिक तौर पर फायदा करेगा। दूसरा इस कार्रवाई से फिलीस्तीन पर भी असर जरूर पड़ेगा। वहीं फिलीस्तीन की बात करें तो वहां की चुनी हुई सरकार भी हमास को पसंद नहीं करती है। गौरतलब है कि हाल में गाजा में होने वाले चुनावों को फिलीस्तीन की सरकार ने आगे के लिए टाल दिया था। इसकी वजह कहीं न कहीं हमास की चुनावों में जीत की आशंका थी।
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